गुरु की पावन-छाँव ।। दोहे- गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर

Guru ki Mahima par aadharit hindi dohe, by Pradeep Kumar Chitransi,

गुरु की पावन-छाँव ।। दोहे- गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर
Doha by Pradeep Kumar Chitransi

 

 

 

गुरु की पावन-छाँव

दोहे- गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर

 

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Doha by Pradeep Kumar Chitransi

दीप जलाकर ज्ञान का, तम से कर संघर्ष।

बिन बोले ही दे रहे,गुरु ! दुनिया को हर्ष।।

 

नीम-वृक्ष की भाँति ही, गुरु की पावन छाँव।

मन-विकार को दूर कर, भरे सदा हरि-भाव।।

 

गुरु ही सच्चा मित्र बन, पकड़ शिष्य का हाथ।

तम में बनकर रौशनी, चले हमेशा साथ।।

 

पकड़ हाथ अभिमान का, करें धर्म की बात।

उनके जीवन में सदा, रहे अमा की रात।।

 

रे मानव!सच है यही,  गुरु ही हैं विद्वान।

वही प्रकाशित कर हमें, देते हैं हरि-ज्ञान।

 

गुरु ही इस संसार में, मानव का बन मित्र।

सदा दिखाता है उन्हें, उनका सच्चा चित्र।।

 

दूषित करते हैं सदा, मन के विमल विचार।

जप-तप, पूजा-पाठ में, यदि है मोह-विकार।।

 

गुरु वाणी में ही निहित, ब्रह्मा विष्णु महेश।

वाणी-रस को पी रहे, नारद सहित गणेश।।

 

गूढ़ विषय है धर्म का, कहते ज्ञानी लोग।

गुरु शरण में बैठ मन, भोग रहा सुख-भोग।।

 

गुरु-वाणी से ज्यों मिला, आत्म तत्व उपदेश।

भटक रहा मन रम गया, सच्चे गुरु के देश।।

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