RNI, ISBN और ISSN नम्बर किसके लिए होता है?

RNI, ISBN और ISSN Number kisko Diya jata hai aur Iska kya Mahatva hai, Puri Jankari

RNI, ISBN और ISSN नम्बर किसके लिए होता है?
RNI ISBN ISSN kya hai

RNI, ISBN और ISSN नम्बर किसके लिए होता है?

आजकल बहुत से रिसर्च करने वाले विद्यार्थीयों को इन नम्बर वाले मैगजीन, पेपर औऱ सीरियल मैगजिन में अपने शोध लेख को छपवाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है, क्योंकि बिना इनमें प्रकाशित शोध लेख के उनका प्रमोशन या इंटरव्यू नहीं होता है। ऐसे में बहुत से विद्यार्थियों को इन नम्बरों के बारे में कन्फ्यूजन होता है कि कौन से नम्बर वाले मैगजिन में अपने लेख को प्रकाशित करवाऊ। तो मैं आज आपको इस लेख में पूरे विस्तार से बताने जा रहा हूँ कि कौन से नम्बर की क्या महत्ता है और आपको कौन से नम्बर की आवश्यकता पड़ती है। इस लेख को पढ़ने के बाद आप समझ पायेगे कि आखिरकार इन नम्बरों वाले मैगजिन में अपने शोध लेख को प्रकाशित करवाने से क्या फायदा होता है। और आप स्वयं निश्चय कर पायेंगे कि कौन से नम्बर वाले मैगजिन में अपने शोध लेख छपवाने चाहिए।

RNI- Registrar of Newspapers for India : RNI नम्बर भारत देश में छपने वाले विभिन्न दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक और वार्षिक पत्र-पत्रिकाओं के लिए जारी किया जाता है। जिसके अन्तर्गत राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक, मनोरंजन, खेल-कूद के साथ ही साथ देश-विदेश के विभिन्न विषयों से लेकर समाचार छपते हैं। ये समाचार पत्र अधिकांशतः दैनिक घटनाओं पर आधारित होते हैं, लेकिन कुछ पत्र-पत्रिकाएं किसी विशेष विषय पर भी आधारित होते हैं जैसे- खेल-कूद, मनोरंजन, शैक्षिक लेख, साहित्य, घटनाक्रम, बिजनेस इत्यादि। यदि आपका विषय इनमें से किसी विशेष पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता है और उस विषय का आपके शोध से मैच कर जाता है तो निश्चय ही आपको इसका फायदा मिलेगा।

ISBN- International Standard Book Number : डियर फ्रेंड्स, यह नम्बर विशेष तौर पर किताबों के लिए जारी किया जाता है। यदि आप कोई किताब लिखते हैं और प्रकाशकों के माध्यम से इस नम्बर के साथ प्रकाशित करवाते हैं तभी आपकी किताब मान्य मानी जाती है। ISBN नम्बर को लेख अपने व्यक्तिगत नाम से पा सकता है और प्रकाशकों के माध्यम से भी पा सकता है। ISBN Number को प्रकाशकों को अधिक मात्रा में एक साथ दी जाती है, जिसको वे विभिन्न पुस्तकों के लिए प्रदान करते रहते हैं। यदि आप अपना आलेख (Articles) या किताब (Book) इन नम्बरों के साथ प्रकाशित करवाते हैं तभी आपके आलेख और पुस्तकों का महत्व रहेगा और आप इसे कहीं प्रमोशन या इंटरव्यू में दिखा सकते हैं।

ISSN- International Standard Serial Number : ISSN Number को सीरियल रूप में प्रकाशित होने वाली मैगजिन को जारी किये जाते और ज्यादातर इनमें शोध लेख का प्रकाशन होता है, लेकिन इसका कोई प्रतिबन्ध नहीं है, कोई इन नम्बरों का प्रयोग पत्र-पत्रिकाओं में भी RNI के साथ भी ISSN नम्बर को प्रकाशित करते हैं। बहुत सी पत्र-पत्रिकाओं को इन दोनों नम्बरों का एक साथ प्रकाशन अधिकार मिला होता है और ऐसी पत्र-पत्रिकाएँ ज्यादातर प्रिंट वाली होती हैं। शोध करने वाले विद्यार्थियों के लिए अपने शोध आलेखों का प्रकाशन इस नम्बर वाले मैगजिन में होने से उनको इसका फायदा होता है, और प्रमोशन और इंटरव्यू में इसका लाभ मिलता है। लेकिन इन पत्रिकाओं में छपने के लिए यह आवश्यक होता है कि ऐसे आलेख आपके स्वयं का लिखा होना चाहिए। यदि आप कहीं से मैटर को काट-छाट कर बनाते हैं तो ऐसे लेखों का प्रकाशन ये पत्रिकाएं नहीं करती हैं और यदि आपने छल-कपट अपने ऐसे आलेखों का प्रकाशन करवा भी लिया तो इसका आपको नुकसान सहना पड़ सकता है। इसलिए ध्यान रहे कि इनमें प्रकाशन के लिए दिये जाने वाले आलेख आपका स्वयं का होना चाहिए।

-नन्द लाल सिंह, प्रयागराज