सोमवती अमावस्या (अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत) Somavati Amavasya (Ashwattha Pradakshina fast)

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सोमवती अमावस्या (अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत) Somavati Amavasya (Ashwattha Pradakshina fast)
Somwati Amavasya aur Bhanwari Pratha

सोमवती अमावस्या (अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत) Somavati Amavasya (Ashwattha Pradakshina fast)

अमावस्या तो हर महिने में ही आता है,लेकिन सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या जिसे सोमवारी अमावस्या के नाम से जाना जाता है, प्रत्येक वर्ष एक या दो बार ही आता है। इस अमावस्या का हिन्दू धर्म बहुत ही विशेष महत्व होता है। इस सोमवारी अमावस्या के दिन विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु के लिए पूजा करती हैं। इस दिन व्रत रखने का भी विधान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मौन व्रत रखने से सहस्त्र गोदान के फल के बराबर होता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत भी रखती हैं।

शास्त्रों में सोमवती अमावस्या के व्रत को अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा जाता है। जिसका अर्थ होता है- पीपल वृक्ष। सोमवारी अमावस्या के दिन विवाहित स्त्रियां सूर्योदय के पहले पीपल की वृक्ष की फेरा लगाकर पूजा करती हैं, जिसमें दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन से पूजा करके किसी एक पदार्थ का प्रत्येक फेरे के साथ पीपल देवता को अर्पण करते हुए 108 बार धागा पीपल वृक्ष में धागा बांधकर पूजा करती हैं। यदि सम्भव हो तो इस दिन विवाहित स्त्रियों को किसी पवित्र नदी, तालाब में स्नान करके (दोनों न होने पर अपने घर में ही गंगा जल का अपने घर के पानी में मिलाकर स्नान करना चाहिए। जहाँ तक सम्भव हो सूर्योदय के पहले ही फेरा देना अति पुण्यकारी माना जाता है। क्योंकि सूर्योदय के बाद इसका प्रभाव कम हो जाता है।

भँवरी की प्रथा- Bhavari Pratha

सोमवारी अमावस्या के दिन भारत के बहुत से इलाकों में भँवरी प्रथा की परम्परा की भी मान्यता है, भँवरी प्रथा के अन्तर्गत धान, पान और खड़ी हल्दी को मिलाकर तुलसी के पेड़ को चढ़ाया जाता है। यदि आपके घर में आँगन है तो तुलसी की पूजा आँगन के मध्य में ही करनी चाहिए। आजकल शहरी महिलायें अपने छतों पर तुलसी के पौधे को लगाकर उनकी पूजा करती हैं, ऐसे में यदि सोमवारी अमावस्या के दिन भँवरी देना है तो तुलसी के पेड़ को छत के मध्य में रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए। भँवरी प्रथा पर मैंने विडियो भी विस्तार से बना रखा है यदि आपको विस्तार से समझना है तो मेरे विडियो शीर्षक के अन्तर्गत जाकर विडियो को देख सकते हैं।

सोमवारी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परम्परा के पीछे मान्यता यह है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है।

सोमवारी अमावस्या को किसकी पूजा करनी चाहिए Who should worship Somvari Amavasya

सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन है इसलिए ज्यादातर स्त्रियाँ भगवान शिव की ही अराधना करती हैं। लेकिन इसके पीछे शास्त्रों में अलग-अलग मत है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पीपल के वृक्ष में जड़ में भगवान श्री हरि विष्णु का वास होता है, जबकि उसके तना में और पत्तियों में भगवान शिव का वास होता है, चूंकि सोमवारी अमावस्या के दिन पीपल के जड़ की पूजा की जाती है, इसलिए बहुत से शास्त्रियों और पंडितों का मानना है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना ज्यादा पुण्यकारी होगा।

सोमवारी अमावस्या को पति की लम्बी आयु के लिए पूजा की जाती है लेकिन इसके अतिरिक्त इस अमावस्या का और भी बड़े महत्व हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और अमावस्या के सभी दिन अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना अति उपयुक्त माना गया है। इसके अलावा इस दिन जिसके कुंडली में काल सर्प दोष होता है तो उसके निवारण के लिए भी पूजा की जाती है।

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, तीर्थ स्थानों पर स्नान, गोदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र इत्यादि का दान करना अच्छा माना जाता है। अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्रमा एक सीध में होते हैं इसलिए यह बहुत ही पुण्यकारी होता है।