गीत-स्वर ।। Geet in Hindi by Ajay Kumar Pandey

अजय कुमार पाण्डेय आठ गीतों का संग्रह दिया गया है- गीत- तुम्हारे लिये, मगरूर मन क्यों नहीं मानता है, जिद है हमारी, तेरी रागनी है, जीवन के पथ पर, मेरी कल्पना हो, समय का गान, सखी माखन को

गीत-स्वर ।। Geet in Hindi by Ajay Kumar Pandey
Ajay Kumar Pandey Ke Geet in hindi

अजय कुमार पाण्डेय के गीत संग्रह

 

गीत-1 तुम्हारे लिये

कभी सोचता हूँ लिखूँ गीत कोई

उसे गुन गुनाऊँ तुम्हारे लिये।

सरगम सजाऊँ तुम्हारे लिये।

 

सबेरे का सूरज हो फूलों का मधुवन

भौरे की गुन्जन हो तितली की थिरकन।

सवनम के बूँदो की मणियाँ बनाऊँ

कलियाँ सजाऊँ तुम्हारे लिये।

 

लिये संग सपने हों हँसती फिजायें।

चन्दन सी महके ये सारी दिशायें।

ऋतुओं से कह दूँ कुछ देर ठहरें

मधुमास आये तुम्हारे लिये।

 

कहीं दूर देखूँ जब संध्या का ढलना।

शिखाओं का गुमसुम अंधेरे में जलना।

सघन गेसुओं में घिरी चाँदनी हो

सिर्फ चन्दा बुलाऊँ तुम्हारे लिये।

 

सितारों की चूनर यामनी।

विरहन सी गाये विरह रागनी।

बिछुडन ये तडपन मिलनगीत गाऊँ

महफिल सजाऊँ तुम्हारे लिये।

 

वंशी बजाओ नवल साज छेड़ो।

तानों में मेरा नया राग जो़ो।

वनें नूपुरों की रुनझुन का संगम।

थिरक नाँच गाऊं तुम्हारे लिये।

 

गरजने अंजाने दिखे दोष मेरे।

मुस्कान मधुरिम हो होठों पर तेरे।

हँसी लाख दुनियाँ उ़ाये हमारी।

लजाऊँ मैं केवल तुम्हारे लिये।

 

भावों में हो बस सूरत तुम्हारी।

संकेत तेरे हो भाषा हमारी।

पागल बनूँ मैं तेरी प्रीत में

छो़ जाऊँ ये दुनियाँ तुम्हारे लिये।।

 

गीत-2 मगरूर मन क्यों नहीं मानता है

माना कि तुमसे अपरिचित हूँ लेकिन

मगर दिल हमारा तुम्हें जानता है।

नाता हो जैसे सदियों पुराना

मगरूर मन क्यों नहीं मानता है।।

 

किरणों के संग-संग तेरा कारवां था।

अम्बर का आँचल नया कर गये हो।

सागर की धारा में लहरों के संग संग,

रेतों पर आकर गजल लिख गये हो।।

मदिर मन्द बजता दिशाओं में रागम्

हवाओं का सरगम तुम्हें जानता है।।

 

सृजन भाव मन में नई सर्जना का,

कांटों का तेवर मृदुल कर गये हो।

नई कोंपलों में नया रंग भर कर

कलियों का मन भी सुमन कर गये हो।

उपवन में ही तुम छिपे हो कहीं पर

शायद यह भौरा तुम्हें जानता है।।

 

अभी छोड़ तुमको गई यामनी है,

नयनों से उसके ये सवनम गिरे हैं।

धरती का आँचल सजल हो गया

फूलों पर बन के ये मोती झरे हैं।।

पंक्षी के गाँवों में हलचल मची है,

चि़ियों का कलरव तुम्हें जानता है।।

 

ख्वाबों खयालों की भाषा हमारी,

हमें खूब मालूम सभी जानते हो।

महक जय जीवन का हरपल हमारा

़ा प्रेम करते बहुत मानते हो।

सरेराह तुमसे बिछ़ जाऊँ फिर भी,

राहों का कण कण तुम्हें जानता है।।

 

यादों के पन्ने पलट करके देखा,

झरोखे से झाँका तुम्हे पास पाया।

अकेला हूँ तन्हा यही सोचता था

रही पास हर पल तुम्हारी ही साया।

आवाज देकर जिसे रोकता हूँ,

राह चलता वटोही तुम्हें जानता है।।

 

गीत-3 जिद है हमारी (Jid Hai Hamari)

मुझे खूब मालूम है रहवर हो मेरे

हवाओं से तेरा पता पूछ लूँगा।

यही तुम छिपे हो कहीं पास मेरे,

जिद है हमारी तुम्हें ढूँढ लूँगा।।

 

बेजान सूखे पहाड़ों के पत्थर।

तुझमें और इनमें नहीं कोई अन्तर।

बनाऊँगा इनसे तुम्हारी ही मूरत।

दिल में बिठाकर वह प्यारी सी सूरत।

रोककर आँसू से तुझको भिगो कर

बिछु़न की बाते वही बोल दूँगा।।

 

अंधेरे में तुमगर कही खो गये तो।

परागों में मधुगन्ध वन छिप गये तो।

बजने लगेगी फिर मौसम की पायल।

बागों में गायेगी प्यारी वह कोयल।

कलियों से फूलों से पूछँगा मिलकर,

उपवन में जाकर तुम्हें खोज लूँगा।।

 

हो जाऊँगा जब जग में अकेला।

हँसेगी ये दुनियाँ हँसेगा ये मेला।

आयेगा तुझको तरस बेबसी पर।

आवाज दोगे तुम्हीं मुस्कुरा कर।

अपने को तुझमें मिटा करके साथी,

पकड़ बांह तुझको वहीं रोक लूँगी।।

 

गीत-4 तेरी रागनी है (Teri Ragini Hai)

लगता है जैसे यह तन मन हमारा

वीणा तुम्हारी तेरी बाँसुरी है।

दिल की ये धड़कन है गुँजन तुम्हारा

स्वासों की सरगम तेरी रागनी है।।

 

बिखरी ये सबनम फूलों की डाली।

सवेरे सूरज ये पूरब की लाली।

क्षितिज पार अम्बर झुका है धरा पर।

मण्डप सा लगता सजा है स्वयंवर।।

 

लगता है यह धरती का आँगन

तेरा कैनवस यह प्रकृत कामनी है।

महकती दिशायें ये गाती हवायें

कण कण में बिखरी तेरी रोशनी है।।

 

कहीं दूर चुपके से संध्या का छिपना।

तारे सितारे की चिलमन का हिलना।

अंधेरी सी राहों में जुगुनू की हलचल।

खामोश बैठी वह डालों पर बुलबुल।

 

लगता है जैसे यह चूनर तुम्हारी

चन्दा तुम्हारा तेरी चाँदनी है।

मदिर मन्द बहती यह रागों की सरिता

महफिल सजाती तेरी यामनी है।

 

सरिता सी बहती यह जीवन है धारा।

सुख दुःख में उलझा है उसका किनारा।

मेरी आरजू है मेरा ख्वाब अपना।

हकिकत सा लगता मगर झूठा सपना।।

 

लगता है जैसे यह ब्रह्माण्ड सारा

तेरी तूलिका से बनी आकृति है।

बदलती फिजाओं का संगीत मधुरिम

निर्देश तेरा यह पथ-गामिनी है।।

 

गीत-5 जीवन के पथ पर (Jeewan Ke Path Par)

दर्द होता न कोई मुझे वेदना का

मेरा हाथ पक़े मेरे पास होते।

अपना भी होता सफर खूबसूरत

जीवन के पथ पर कही साथ होते।।

 

बहुत तेज बहती सागर सी नदियां।

लताओं से उलझी कांटों की बगिया,

बहारों में हँसते मधुवन भी मिलते,

तरंगों का होता सफर खूबसूरत,

राहों में तुम गर कहीं साथ होते।।

 

सूरज निकलता वहीं शाम ढलती।

बढता अँधेरा शिखा एक जलती।

चन्दा के संग-संग सितारे निकलते,

समर्पण में होता सफर खूबसूरत।

राहों में तुम गर कहीं साथ होते।।

 

उमड़ते घुम़ते ये सावन के बादल,

राहों में मिलते अगर वन के पागल,

बादल भिगोते मृदुल नीर झरते,

सुहाना सा होता सफर खूबसूरत,

मेरा हाथ थामें मेरे साथ होते।।

 

मुस्कान तेरी फिजाओं में दिखती।

दिशायें ही तेरा सदा गीत लिखती।

हम भी तो आहें तुझे देख भरते,

हकीकत में होता सफर खूबसूरत

जीवन के पथ पर कहीं साथ होते।।

 

गीत-6 मेरी कल्पना हो (Meri Kalpana Ho)

बहुत खूबसूरत नई कल्पना सी

धरा पर प्रकृति की नवल सर्जना हो

तुम्हें देखता हूँ तो लगता है जैसे

मेरी जिन्दगी तुम मेरी साधना हो।

 

घने बादलों में छिपी दामनी सी

वसी बाँसुरी में मधुर रागनी हो।

मूरत हो जैसे सजी मन्दिरों में

पूजा हमारी मेरी अर्चना हो।

 

घने तम में जैसे दिखाती दिशा तुम

सूने बिजन में जली एक शिखा हो।

कहाँ शब्द ढूँढ कोई गीत गाऊँ

मेरी आरजू तुम मेरी याचना हो।

 

सघन गेसुओं से सजी यामनी में

चन्दा की प्यारी धवल चाँदनी हो।

सुन्दर सलोनी शब्दों की भाषा

कविता की पंक्ति मेरी कामना हो।

 

मधुगन्ध बनकर हिरण नाभि में तुम

सुमनों के आँचल पर बिखरे हुये हो।

क्षितिज पार अम्बर तक तुम्हे देखता हूँ

मुस्कुराती हुई तुम मेरी कल्पना हो।

 

गीत-7 समय का गान (Samay Ka Gaan)

स्थिर नहीं प्रतिपल बदलता,

समय का यह गान सुन लो।

मंजिल कहाँ अंजान अपनी,

लक्ष्य का बस ध्यान कर लो।

 

आ गई लो अरुणिमा मुस्कुराती व्योम में,

देख लो वह नीड़ के जग गये खगकुल विपिन में।

फूल देखो सूल देखो आनन्द का उत्कर्ष देखो,

मन्द मलयज साथ लेकर आ गया मधुप्रात देखो।

 

ढल गई काली निशा वह,

नभचरों का गान सुन लो।

चुपचाप निरखो नवकली को,

नव सुमन से प्यार कर लो।

 

सकुचा गई देखो कुमदनी जो खिली थी ताल में,

विरही व्यथित वह क्रौच देखो नाचता उल्लास में।

हो गई निस्तब्ध चकोरी झिल्लियों का राग टूटा,

चाँदनी फिर राह भूली दूर नभ में चाँद छूटा।

 

भोर का यह आगमन है,

साँझ का अवसन सुन लो।

आलोक का अवतरण देखो,

निर्झरों का गान सुन लो।

 

कोई चितेरा लिख रहा वीते पलों की हरकथा,

स्वप्न भी हमने लगा लो भूलकर सारी व्यथा।

संघर्ष की नव भूमिका में दिख रही धरती सदा,

समय का यह चक्र चलता जिन्दगी की पटकथा।

 

पथ पर चलो आगे बढो,

अंजान से भी प्यार कर लो।

स्थिर नहीं प्रतिपल बदलता,

समय का यह गान सुन लो।

 

ब्रजगीत-8 सखी माखन को (Braj Geet- Sakhi Makhan Ko)

गोकुल गाँव की गलियन में,

काल्हि गई दधि बेचन को।

नन्द को छोरो ढीठ बडो,

ठड़ि मिल्यो मग रोकन को।।

हाथि पकरि मुस्काय दियो,

वर जोरी कियो दधि छीनन को।

आँख तरेर लवार कहयो मैं,

हाथ कहयो वही छो़न को।।

 

सर की मटकी फो़ दई,

छा़ि गयो मोहि भीगन को।

नन्द के द्वारे गई सखि फिर,

जसुदा से यह बात बतावन को।।

मुस्काय श्याम करि जोर मिल्यो,

आँख मिचाइ दियो समुझावन को।

भूलत नाहि वह साँवरि सूरत,

चैन गयो इन नयनन को।।

 

बाँकी वह वाकी मनोहर अदा,

़पत हूँ अब देखन को।

धीर धरो बस जोह जरा

देख सखी इस निर्जन को।।

वेनु बजावत श्याम मेरो,

आयेंगें धेनु चरावन को।

विनती एकहि मोर सखी,

चुराई धरयो मत माखन को।।

-Hindi Geet by Ajay Kumar Pandey