भाई दूज कब होता है, इसकी मान्यता Recognition of when Bhai Dooj happens

Bahan-Bhai ka tyohar Bhaiduj ka bahut bada mahatva hai, es article mein bataya gaya hai ki bhai duj ka vrat kab aur kiske liye manaya jata hai.

भाई दूज कब होता है, इसकी मान्यता Recognition of when Bhai Dooj happens
Bhaiduj ki Manyata

भाई दूज कब होता है, इसकी मान्यता Recognition of when Bhai Dooj happens

भाई दूज का त्यौहार दीपावली के तीसरे दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है। इस त्यौहार में बहन अपने भाई की लम्बी आयु के लिए व्रत रहती है या पूजा-अर्चना करती है। अपने भाई की अकाल मृत्यु से छुटकारा दिलाने के लिए इसमें यम देव की उपासना की जाती है। इस व्रत में सूर्य की पुत्री यमुना की समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी के रूप में पूजा की जाती है। इसमें बहन अपने भाई के लिए मंगल कामना करती है। इस त्यौहार में बहन रक्षा बंधन के समान ही पूजा करने के बाद अपने भाई को रोली लगाने और मिठाई खिलाने के बाद ही वह भोजन करती है। इस तरह त्यौहार भाई-बहन का ही त्यौहार है।

हमारे हिन्दू संस्कृति में भाई-बहन का रिश्ता एक पवित्र और पूज्यनीय रिश्ता माना जाता है जिसमें जहाँ एक ओर बहन अपने भाई की सलामती के लिए हर सम्भव प्रयास करती है, जितने भी पूजा-पाठ और व्रत होते हैं सब करती हैं वहीं दूसरी ओर भाई भी अपनी बहन की रक्षा और सुख-समृद्धि के लिए हर सम्भव प्रयास करता है। जब भी बहन संकट में होती हैं तो हर कदम पर भाई अपने बहन की रक्षा और सहायता करता है। इसलिए भाई-बहन के अटूट पवित्र औऱ पुज्यनीय रिश्ते को और मजबूत बनाने में यह भाई दूज का त्यौहार अपनी अहम भूमिका निभाता है। जैसे रक्षा बंधन का त्यौहार होता है उसी तरह भाई दूज का त्यौहार भी भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है। इसलिए इस त्यौहार को पूरे भारत वर्ष में बड़े ही उत्साह के साथ बहनें मनाती हैं।

-नन्द लाल सिंह “शाश्वत”