ब्रह्मज्ञानियों की चेतावनी, ब्रह्महत्या क्या है? Warning of the Brahm Gyanis, what is Brahmana?

Bhagwat Prachar-Prasar Kaise karana chahiye, भगवत् प्रचार-प्रसार का पूर्ण ज्ञान

ब्रह्मज्ञानियों की चेतावनी, ब्रह्महत्या क्या है? Warning of the Brahm Gyanis, what is Brahmana?

ॐ आनन्दमय ॐ शानतिमय

ब्रह्मज्ञानियों की चेतावनी- ब्रह्महत्या क्या है?

अनुभव रहित मन-वाणी-लेखनी द्वारा ब्रह्मज्ञान का प्रचार-प्रसार करना ब्रह्महत्या रूप महाघोर सहज नरक में जाने का मार्ग है। 

ब्रह्मज्ञान उपजा नहीं, कर्म दियो छिटकाये।

तुलसी ऐसी आत्मा, सहज नरक में जाये।।

श्री विश्वशान्ति ग्रन्थ भाग-2 में ब्रह्महत्या का ज्ञान, विस्तार पूर्वक कथन किया है, पृष्ठ सं0 86 से 93 तक में प्रकाशित है। पृष्ठ सं0 91 पर दिया गया है कि ब्रह्महत्या पाँच प्रकार से होती है। उसमें श्री महापुरुषों के उपदेश, आदेश और आज्ञा की अवहेलना करना प्रथम ब्रह्महत्या है।

ब्रह्मवेत्ता, तत्त्वदर्शी श्री महापुरुष भगवान ने अनुभव रहित वाणी द्वारा ब्रह्मज्ञान चोरी कर धन, मान, पद, प्रतिष्ठा की प्राप्ति के लोभ से ब्रह्मज्ञान का प्रचार-प्रसार करना, महाघोर दण्ड-दायक पाप कर्म कथन किया है। और फिर भगवत् विधान के आदेशों के विपरीत दोष दृष्टि करना, द्वेष करना, बुराई करना, चोरी करके ब्रह्मज्ञान का प्रचार-प्रसार करना यह सब विपरीत कर्म शीघ्र ही ॐ आनन्दमय प्रभु पिता और द्वेष कर पापाचारी-क्रूर-कर्मी होकर नराधम को जाते हैं। फिर ॐ आनन्दमय प्रभु पिता जी द्वारा बार-बार आसुरी योनियों में ही डाले जाते हैं। श्री गीता अ0 16 श्लोक 19-20।

श्री ब्रह्मज्ञान के पारदर्शी श्री महापुरुष भगवान ने आज्ञाकारी भक्तों के हितार्थ ब्रह्मज्ञान का प्रचार-प्रसार कैसे करना है, उसको स्वयं करके आदर्श दिखाया है।

1. दम्भ रहित इस प्रकार प्रचार-पूजा भीतरी-बाहरी उन्नतियों का साधन है।

2. यह छल-दम्भ रहित प्रचार-पूजा का स्वरूप है। यह अपने शत्रु अहंकार को दमन करने का सर्वश्रेष्ठ साधन है।