सोमवती अमावस्या की कथा Story of Somvati Amavasya

Somwati Amavasya ki pauranik katha kya hai, es hindi mein janane ke liye es article ko pura padhen.

सोमवती अमावस्या की कथा Story of Somvati Amavasya
Somwati Amavasya ki Katha

सोमवती अमावस्या की कथा Story of Somvati Amavasya

सोमवती अमावस्या की शास्त्रों में अनेक कथाएं दी गयी हैं, लेकिन सबसे लोकप्रिय कथा ब्राह्मण पति-पत्नि की है। एक गाँव एक गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था जिसमें पति, पत्नि और उसकी एक पुत्री थी। उस ब्राह्मण की पुत्री समय के साथ-साथ धीरे-धीरे बड़ी होने लगी। उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसके सभी स्त्रियोचित गुणों का भी विकास होने लगा था। ब्राह्मण की पुत्री अति सुन्दर, संस्कारवान और गुणवान थी, लेकिन उसके गरीब होने के कारण उसकी पुत्री का विवाह कही नहीं हो पा रहा था। एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक अच्छा साधु आये, उस कन्या ने साधु की बहुत सेवा की। उस कन्या के सेवाभाव से वह साधु बहुत प्रभावित हुआ और कन्या को लम्बी आयु का आशीर्वाद देते हुए कहा कि कन्या के हथेली में विवाह योग्य की रेखा नहीं है। साधु के वाक्य से ब्राह्मण और उसकी पुत्री चिंतित हो गये। ब्राह्मण परिवार ने उस साधु से इस समस्या के निदान हेतु कोई उपाय पूछा कि वे क्या करें पुत्री के हाथ में विवाह का योग बन जाये। तत्पश्चात् साधु आँखे बंद करके ध्यान लगाया और कुछ देर बाद अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गाँव में सोना नाम की धोबी जाति की एक महिला अपने बेटे और बहु के साथ रहती है। वह धोबी महिला बहुत ही अच्छे आचार-विचार वाली और संस्कार युक्त तथा पति परायण है। साधु ने आगे बताया कि यदि आपकी पुत्री उस धोबी महिला की तन-मन से सेवा करे और शादी के समय अपने मांग का सिन्दूर इसे लगा दे तो आपकी पुत्री का विवाह हो सकेगा और पुत्री का वैधव्य योग भी मिट जायेगा। साधु की बात सुनकर ब्राह्मण की पत्नि ने उस धोबिन महिला की सेवा करने की बात कही और उसकी पुत्री धोबिन की सेवा करने लगी।

ब्राह्मण की पुत्री साधु का उपदेश और अपनी माता की आज्ञानुसार धोबिन की सेवा करने का संकल्प लिया। ब्राह्मण कन्या सुबह होने से पहले ही धोबिन के घर जाकर उसके घर की साफ-सफाई और अन्य सारे कार्य करने अपने घर वापस आ जाती थी। सुबह जब धोबिन उठती और सारे कार्य सम्पन्न और घर साफ सुथरा देख अपनी बहु से कहती कि तुम तो सुबह हमारे जगने के पहले ही उठकर सारे काम कर लेती हो और हमें पता भी नहीं चलता। माँजी की बात सुनकर बहु बोली कि- माँजी हमने तो सोचा कि आपही हमारे जगने से पहले उठकर घर का सारा काम खुद ही कर लेती हैं, और हमें पता ही नहीं चलता। इस बात माँजी ने कहा कि मैं तो देर से उठती हूँ और जब उठती हूँ तो घर साफ-सुथरा पाती हूँ। मैं इतने दिन यही सोच रही थी कि बहु ही साफ-सुथरा करती है। इसके बाद से दोनों सास-बहु भोर से निगरानी करने लगी कि कौन है जो मेरे घर का सारा काम करता है और फिर हम लोगों के उठने से पहले ही चला जाता है। बहुत दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक कन्या अँधेरे में हमारे घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है। एक दिन जब वह ब्राह्मण कन्या सारा काम समाप्त करके अपने घर जाने लगी तो सोना धोबिन दौड़कर उसके पैरों में गिर पड़ी और पूछने लगी कि आप कौन हैं और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं। धोबिन के प्रश्न पूछने के बाद ब्राह्मण कन्या ने साधु के द्वारा बतायी गई सारी बातें उस धोबिन को बतायी। सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें बहुत तेज और प्रभाव था। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे, इसलिए धोबिन ने अपनी बहू से कहा कि जब तक मैं न लौटू घर पर ही रहना। इसके बाद धोबिन उस ब्राह्मण के घर गई और अपने मांग का सिंदूर उस कन्या की मांग में लगा दिया। लेकिन जैसे ही उस धोबिन ने अपने मांग का सिंदूर उस कन्या को लगाया उस धोबिन के पति का स्वर्गवास हो गया। उस धोबिन को इस बात का पता चल गया। वह धोबिन अपने घर से निराजल ही निकली थी, यह सोचकर कि रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भँवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी, उस दिन सोमवती अमावस्या का दिन था। उस ब्राह्मण के घर से मिले पूए-पकवान के स्थान पर उसने ईंट के टुकड़ों से ही 108 बार भँवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की उसके बाद ही जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पतिके मुर्दा शरीर में कम्पन्न होने लगा और वह जीवित हो उठा। इसलिए सोमवती अमावस्या का व्रत रखकर पीपल के वृक्ष की पूजा करने वाली विवाहित महिलायें अपने पति की एक तरह से रक्षा कवच का काम करती हैं। अत: इसी कारण से सोमवती अमावस्या का अपना एक विशेष महत्व है।

                                                                                                                                          -नन्द लाल सिंह “शाश्वत”