कुम्भ मेला कब और कहाँ होते हैं उनके चार स्थान कहाँ-कहाँ हैं, उनकी कथाएँ

When and where are the Kumbh Melas, where are their four places, What are the stories of kumbh. Es article mein Kumbh yah vistar se bataya gaya hai ki Kumbh mela kaha-kaha aur kab-kab lagata hai aur kyon lagata hai.

कुम्भ मेला कब और कहाँ होते हैं उनके चार स्थान कहाँ-कहाँ हैं, उनकी कथाएँ
Kumbh Places by Nand lal SIngh

कुम्भ कब-कब और कहाँ-कहाँ होता है

When and where are the Kumbh Melas, where are their four places

कुम्भ के चार स्थल

हरिद्वार कुम्भ Haridwar Kumbh- हरिद्वार में कुम्भ का आयोजन तब होता है जब कुम्भ राशि का वृहस्पति हो और मेष राशि में सूर्य-संक्रांति होता है। यह समय चैत्र या वैशाख महिने में होता है। इसका उल्लेख पुराणों में कुछ इस तरह से मिलता है-

कुम्भराशिं गते जीवे तथा मेषे गते रवौ ।

हरिद्वारे कृतं स्नानं पुनरावृत्तिवर्जनम् ।।

हरिद्वार भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है, जहाँ माँ गंगा हिमालय से निकलकर दुर्गम पहाड़ों से गुजरते हुए मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती हैं। हरिद्वार के हरि की पैड़ी पर गंगा का प्रवाह बहुत तीव्र होता है और यहीं पर इस कुम्भ का आयोजन प्रत्येक 12 वर्ष पर किया जाता है।

प्रयागराज कुम्भ Prayagraj Kumbh- प्रयागराज भारतवर्ष के उत्तरप्रदेश राज्य में स्थित है, यहाँ पर कुम्भ का आयोजन माघ महिने में किया जाता है जो अंग्रेजी महिने को देखें तो यह जनवरी-फरवरी माह में पड़ता है। यह कुम्भ प्रयागराज संगम पर आयोजित होता है, जहाँ गंगा-यमुना-सरस्वती नदियाँ आपस में मिलती हैं। प्रयागराज कुम्भ की महत्ता का वर्णन श्रीरामचरितमानस में कुछ इस तरह से किया गया है-

माघ मकरगत रवि जब होई । तीरथ पतिहिं आव सब कोई ।।

देव-दनुज किन्नर नर श्रेनी । सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी ।।

पूजहिं माधव पद जल जाता । परसि अछैवट हरषहिं गाता ।।

भरद्वाज आश्रम अति पावन । परम रम्य मुनिवर मन भावन ।।

तहां होइ मुनि रिसय समाजा । जाहिं जे मज्जन तीरथ राजा ।।

प्रयागराज तीर्थ को सभी तीर्थों में प्रमुख तीर्थराज के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसकी कई मायने में अधिक प्रासंगिकता है। पौराणिक कथानुसार एक बार जब सभी तार्थों को तुला के एक पलड़े पर रखा गया और दूसरे पलड़े पर प्रयागराज को रखा गया तो भी प्रयागराज का पलड़ा भारी पड़ गया। तभी से प्रयागराज को तीर्थराज के नाम से जाना जाने लगा।

उज्जैन कुम्भ Ujjain Kumbh- उज्जैन भारत के मध्यप्रदेश राज्य में पड़ता है, यहाँ पर क्षिप्रा नदी के तट पर कुम्भ का पर्व होता है जहाँ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भी विराजमान हैं। उज्जैन में कुम्भ का आयोजन तब होता है जब मेष राशि में सूर्य और सिंह राशि में वृहस्पति होता है। यह पावन योग वैशाख महिने के पूर्णिमा को पड़ता है, जिसके कारण इसी वैशाखी पुर्णिमा को यहाँ पर कुम्भ का आयोजन होता है। इस सम्बन्ध में पुराणों में कुछ तरह से वर्णन आता है-

मेषराशिं गते सूर्ये सिंहराशौ बृहस्पतौ ।

पौर्णिमायां भवेत्कुम्भ: उज्जयिन्यां सुखप्रद: ।।

नासिक कुम्भ Nasik Kumbh- नासिक महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। यहाँ पर पवित्र गोदावरी नदी के तट पर इस कुम्भ का आयोजन होता है। यहाँ पर कुम्भ तब लगता है जब सूर्य, चन्द्रमा और वृहस्पति तीनों सिंह राशि में होते हैं। यह शुभ योग भादों (भाद्रपद) महिने की अमावस्या को आता है। इसलिए प्रत्येक 12 वर्ष पर भादों की अमावस्या के अवसर पर यहाँ कुम्भ का पर्व मनाया जाता है। इसके सम्बन्ध में पुराणों में कुछ इस तरह से उल्लेख मिलता है-

सिंहराशिं गते सूर्ये सिंहरासौ बृहस्पतौ ।

गोदावर्यां भवेत्कुम्भो भुक्तिमुक्तिप्रदायक: ।।

-by Nand Lal Singh “Shashwat”