गजल ।। Gazal in Hindi by Ajay Kumar Pandey
अजय कुमार पाण्डेय के चार गजल प्रकाशित
अजय कुमार पाण्डेय के चार गजल
गजल- थकान लगने लगी है
जलते दिये की शिखा सुलगने लगी है।
चाँद तारे सितारों की रात ढलने लगी है।
दिखता नहीं दूर तक मंजिल का निशां,
अवलम्ब की हर डोर डिगने लगी है।
जानता हूँ मालूम है हर सुबह की शाम है,
विश्वास की यह बात भी छलने लगी है।
हो गये हैं खफा-खफा कारवाँ के लोग,
न जाने क्यों जिन्दगी उदास दिखने लगी है।
आओ कुछ देर बैठकर चलते हैं ‘अजय’
चलते चलते अब तो थकान लगने लगी है।
गजल- तन्हा-तन्हा
एक पेड़ के पंक्षी हम सब डाल सभी की तन्हा तन्हा।
धरा गगन में धवल चाँदनी मगर चाँद है तन्हा तन्हा।
सजी यहाँ पर महफिल है गलजार यहाँ की मधुशाला,
सभी नशे में झूम रहे हैं, जाम का प्याला तन्हा तन्हा।
मुस्कान मधुर है होठों पर सुर्खगाल की लाली है,
पाँव सभी के थिरक रहें, किस्मत सबकी तन्हा तन्हा।
शाम ए सहर का आलम है नाते रिस्ते प्यारे प्यारे,
शाम ढले तो जाना है छोड़ अन्जुमन तन्हा तन्हा।
साथ मरेगें साथ जियेगें, सब के वादे अपने अपने,
अन्त में कोई साथ नहीं था, चिता जली है तन्हा तन्हा।
गजल- मेरे यार का
हर तरफ जलवा है उसका नाम रोशन है मेरे यार का।
जिन्दगी का ख्वाब है वह संसार मेरे प्यार का।
उठती समुन्दर की ये लहरें अगड़ाइयाँ उसकी,
वह माझी है मेरा, मेरी मझधार का।
हर तरफ जो बज रहा है, राग सरगम गीत का,
यह वीणा उसी की है, संगीत उसके तार का।
अजय को तुम खार कहते हो एक साख का,
मुस्कुराता दिख रहा, वह सुमन उस डार का।
छूकर गुजरी है बगल से लड़खड़ाये है पाँव उसके,
दीवाना पन देखिये उस महकती वयार का।
ये रात गुजरी है मेरी गेसुओं की छाँव थी उसकी,
देखिये क्या आलम है सुबह उसकी दीदार का।
गजल- विन आपके
बीत जाता हूँ समय कहाँ मौसम ठहरते हैं।
माने न माने बिन आपके हम भी तड़पते हैं।
मेरी आवाज पर मुड़ कर देखो न देखो,
सच आपके दीदार को हम भी तरसते हैं।
दर्द की साज पर नहीं लिखता गीत कोई,
पर विरह की वेदना में हम भी झुलसते हैं।
शलभ करता नहीं प्यार की बाते कभी,
दीप की जलती शिखा पर पंख उसके सुलगते हैं।
मत देखिये मेरी खामोश नजरों को अजय,
आँसुओं का समुन्दर है सच ये भी छलकते हैं।
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