विवु की प्रथम दिवाली ।। Vivu Ki Pratham Diwali (बाल-कविता)
Dr Pradeep Kumar Chitransi Ki kavita Vivu Ki Pratham Diwali Ek Bal Kavita hai एक बच्चे की प्रथम दिवाली पर उसके भावनाओं को व्यक्त किया गया है कि एक छोटा सा बच्चा दिवाली की चकाचौंध को देखकर क्या महसूस करता है।
विवु की प्रथम दिवाली
सुन लो बाबा,सुन लो दादी, सुन लो नाना-नानी।
विवु की प्रथम दिवाली आई, विवु की प्रथम दीवाली।।
पापा-मम्मी नहीं दिलाते,मुझको यहाँ पटाखे,
बाबा संग चलूँगा लेने,मैं भी वहाँ पटाखे,
दादी चलना साथ हमारे,कपड़ा तुम दिलवाना,
विवु की प्रथम दिवाली आई,विवु की प्रथम दिवाली।
तंग नहीं मैं तुम्हें करूँगा,और न कुछ बोलूँगा,
लेकिन अपनी पाकेट को भी,नहीं वहाँ खोलूँगा।
बस मुझको तुम दिलवा देना,ढ़ेरो ढ़ेर पटाखे,
विवु की प्रथम दिवाली नानी,विवु की प्रथम दिवाली।
हल्ला-गुल्ला शोर-शराबा,घर में बहुत ज़रूरी।
बिन इसके क्या दीवाली,होगी नहीं अधूरी,
बोलो भइया,बोलो दीदी ,साथ हमारा दोगे।
विवु की प्रथम दिवाली आई, विवु की प्रथम दिवाली।
सुन लो चाचा,सुन लो चाची,सुन लो भैया-दीदी,
सुन लो बूआ,सुन लो फूफा, सुन लो मामा-मौसी,
नेह तुम्हारा साथ हमारे, सदा रहे मैं चाहूँ,
विवु की प्रथम दिवाली आई,विवु की प्रथम दिवाली।।
-डॉ०प्रदीप चित्रांशी
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