धनतेरस और उसका महत्व Dhanteras and its importance

Es article mein dhanteras ke bare mein vistar se bataya gaya hai ki, Dhanteras kab aur kyan manate hai, eska mahatva kya hai, eska itihas kya hai.

धनतेरस और उसका महत्व  Dhanteras and its importance
Dhanteras aur Uska Mahatva

धनतेरस और उसका महत्व

Dhanteras and its importance

हिन्दू त्यौहारों में धनतरेस का अपना एक अहम महत्व है, यह त्यौहार दीपावली के पूर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी के दिन होता है, इसी त्रयोदशी को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। इस दिन नए बर्तन का खरीदना शुभ माना जाता है। इसलिए इस त्यौहार को मानने वाले सभी लोग इस दिन नये-नये बर्तन खरीदते हैं, जिसमें दीपावली के दिन पूजा की जाती है। धनतरेस को मृत्यु के देवता यमराज और भगवान धन्वंतरि की पूजा पूरे विधि विधान के साथ की जाती है। धनतेरस के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार नये बर्तन, सोना, चाँदी खरीदना अति शुभ माना जाता है। इस दिन धन सम्पत्ति की प्राप्ति के लिए कुबेर देवता को घर के पूजा स्थल पर दीप जला कर दीप दान करें और इसके साथ ही साथ मृत्यु के देवता यमराज के लिए अपने घर के मुख्य द्वार पर भी दीप जलाकर यमराज के लिए दीप दान करना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

धनतेरस की मान्यता के पीछे इतिहास

हमारे पौराणिक शास्त्रों और ग्रन्थों धनतरेस की बहुत कथाएं वर्णित हैं, जिसमें यह कथा सबसे लोकप्रिय और प्रमाणित मानी जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय इसी दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी जिस धनतेरस के नाम से जाना जाता है। भगवान धन्वंतरि ने अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसके पीछे मान्यता यह है कि धन्वंतरि भगवान विष्णु के अंशावतार हैं। भगवान धन्वंतरि का अवतार संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार हेतु ही हुआ था। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही पवित्र धनतरेस का त्यौहार मनाया जाता है। और इसलिए धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि के पूजन का विधान है। चूंकि भगवान धन्वंतरि का अवतार चिकित्सा के लिए हुआ था, इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि से अपने और अपने परिवार के साथ-साथ सबसे स्वस्थ्य रहने की प्रार्थना की जाती है।