प्रदोष व्रत कब होता है और उसका महत्व क्या है ।। When is Pradosh fast and what is its importance

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प्रदोष व्रत कब होता है और उसका महत्व क्या है ।। When is Pradosh fast and what is its importance
Pradosh Vrat aur Uska Mahatva

प्रदोष व्रत कब होता है When does Pradosh fast

हिंदू पंचांग के विधानानुसार प्रदोष व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के त्योदशी तिथि के दिन होता है। इस व्रत में भगवान शंकर और पार्वती की पूजा और उनकी उपासना पूर्ण श्रद्धा-भाव के साथ की जाती है। इस व्रत में अपने सभी प्रकार के दोषों और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव और पार्वती से प्रार्थना की जाती है।

प्रदोष व्रत का क्या महत्व है What is the significance of Pradosh Vrat

एक सप्ताह में सात दिन होते हैं और उन सात दिनों का अलग-अलग नाम होता है, इसलिए दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत का नाम भी रखा गया है। जैसे सोम प्रदोष व्रत, भौम प्रदोष व्रत, बुद्ध प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत, शुक्र प्रदोष व्रत, शनि प्रदोषम् और रवि प्रदोष व्रत। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की आराधना और पूजा की जाती है। इसमें भगवान शंकर को जल चढ़ाकर शिव मंत्र जपना चाहिए। प्रदोषकाल में भगवान शिव को बेल-पत्र, कनेर, धतूरा, शमी, चावल, दीप, धूप, पान-सुपारी और फल अर्पित करके उनकी आराधना करनी चाहिए।

सोमवार (सोम प्रदोष व्रत)- सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष को सोम प्रदोषम् या चन्द्र प्रदोषम् के नाम से भी जाना जाता है। इस सोम प्रदोष व्रत में साधक को अपनी कामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव की आराधना और पूजा करनी चाहिए। 

मंगलवार (भौम प्रदोषम् व्रत)- इस प्रदोष व्रत में अपने और अपने परिवार के अच्छे सेहत और बीमारियों से मुक्ति की कामना करनी चाहिए।

बुद्धवार (बुद्ध प्रदोष व्रत)- इस दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत में अपनी समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना की जाती है।

गुरुवार (गुरु प्रदोष व्रत)- इस व्रत को रखने का उद्देश्य अपने शत्रुओं पर विजय पाना और शत्रुओं के नाश के लिए यह प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत को रखकर आप अपने समस्त शत्रुओं से छुटकारा पाने की अराधना कर सकते हैं।

शुक्रवार (शुक्र प्रदोष व्रत)- इस दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान प्राप्त करने के लिये किया जाता है।

शनिवार (शनि प्रदोषम् व्रत)- इस दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को साधक पुत्र की प्राप्ति के लिए कामना करता है। अत: पुत्र की प्राप्ति के लिए इस प्रदोष व्रत को रखा जाता है।

रविवार (रवि प्रदोष व्रत)- जिन जातकों की कुंडली में सूर्य कमजोर रहता है, उनको इस व्रत को रखना चाहिए। क्योंकि रवि प्रदोष व्रत रखने से यह दोष उनकी कुंडली से समाप्त हो जाता है। इस व्रत को लम्बी आयु और निरोग रहने के लिए किया जाता है।

इस प्रकार दिन के हिसाब से अलग-अलग दिन को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अपना अलग-अलग महत्व है, आप अपने जरूरत के हिसाब से अलग-अलग प्रदोष व्रत रख सकते हैं।

-नन्द लाल सिंह “शाश्वत”