करवा चौथ का व्रत और विधि ।। Karva Chauth's fast and method

करवा चौथ का व्रत किस मंत्र के साथ प्रारम्भ करें। Karva chauth ka vrat kaise rakhte hain, vrat rakhne ki vidhi kya hai, karva chauth ki purn vidhi ke bare mein puri jankari prapt karne ke liye es lekh ko jarur padhen.

करवा चौथ का व्रत और विधि ।। Karva Chauth's fast and method
Karva chauth vrat ki vidhi

करवा चौथ का व्रत और विधि

करवाचौथ का व्रत हमारे भारतीय संस्कृति में सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत होता है जिसमें सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। यह व्रत देश के अलग राज्यों और क्षेत्रों में वहाँ के प्रचलित मान्यताओं के अनुसार ही होता है। लेकिन इन सब मान्यताओं का सार एक ही है, और वह है पति की दीर्घ आयु के लिए व्रत रखना।

करवा चौथ की पूर्ण विधि का विडियो देखें- https://www.youtube.com/watch?v=_-LPo85wbDI&list=PLCZAM2SeKDC-sG-sNzkkd3RUtCmqolRK3&index=11

करवाचौथ व्रत की विधि

  • करवा चौथ पूजन की सभी सामग्री को सबसे पहले एकत्र कर लेना चाहिए।
  • करवा चौथ व्रत के दिन प्रात:काल में स्नान के बाद इस मंत्र के साथ व्रत का आरम्भ करें- सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।
  • इस व्रत में पूरे दिन निर्जला व्रत अर्थात पानी के बिना रहा जाता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में महिलायें पानी पी सकती हैं। यदि उनका स्वास्थ्य सही नहीं है और पानी पीना आवश्यक है तो पानी पीया जा सकता है फिर ऐसी परिस्थितियों में करवा चौथ का व्रत समाप्त होने पर भोजन स्वयं करके और पति को कराके व्रत तोड़ें।
  • मंत्र के साथ व्रत का आरम्भ करने के बाद घर के किसी दीवार पर गेरू से फलक बनाये और पिसे हुए चावल के घोल से करवा का चित्र बनायें। इस प्रकार इसे वर कहते हैं। और तरह चित्र बनाने की कला को करवा धरना कहा जाता है।
  • अपनी स्वेच्छानुसार आठ पूरियों की अठवारी बनाने के साथ हलुआ और अच्छे-अच्छे पकवान बनाने की प्रथा है।
  • इसके बाद पीली मिट्टी के द्वारा गौरी की मूर्ति बनायें और गौरी माता की गोद में गणेश जी को बनाकर बिठाना चाहिए।
  • गौरी माता को बिठाने के लिए लकड़ी का आसन प्रयोग करें और चौक बनाकर उस लकड़ी के बने हुए आसन को उस पर रख दें। इसके बाद गौरी माता को चुनरी से ओढाएं और बिंदी के साथ-साथ समस्त सुहाग सामग्री से उनका श्रृंगार करें।
  • इसके बाद जल से भरा हुआ लोटा उनके आसन के सामने रखें।
  • भेंट जिसे वायना भी कहा जाता है जो मिट्टी, पितल, चाँदी का हो सकता है, उसमें (करवा में) गेंहू और उसके ढक्कन में चीनी का बूरा भर दें और उसके ऊपर दक्षिणा हेतु कुछ पैसे (स्वेच्छानुसार) रखें। जिसे बाद में किसी ब्राह्मण को या जरूरतमंत को दान कर दें।
  • करवा पर रोली से स्वास्तिक का निशान बनायें। जो शुभ का निशानी होता है।
  • इसके बाद गौरी माता और गणेश जी की विधि अनुसार मंत्रों के साथ पूजा करें, जो भी आपके यहाँ परम्परा हो उसी परम्परानुसार सच्चे मन से और पूरी श्रद्धा से गौरी-गणेश की पूजा करें। और उनसे पति की दीर्घायु होने की कामना करें। इसके लिए एक मंत्र भी शास्त्रों में बताया गया है, यदि आप शिक्षित हों तो स्वयं पढ़ें अथवा किसी से पढवायें- नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम् । प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।।
  • पूजन हेतु रखे करवा पर 13 बिंदी ऱखना चाहिए और गेंहू अथवा चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। इससे पति के ऊपर आने वाले ग्रहों से छुटकारा मिलता है।
  • इसके अतिरिक्त तेरह दाने गेंहू के और पानी का लोटा और टोंटीदार करवा को अलग रख लेना चाहिए।
  • रात्रि में चाँद निकलने से पहले पूजा को सम्पन्न कर लें और चाँद निकलने के बाद छलनी की ओट से चन्द्रमा को देखें और इसके साथ ही चन्द्रमा को अर्घ्य दें। चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति को उसी छलनी की ओट से देखें और पति का आशीर्वाद लें।
  • पति से आशीर्वाद लेने के बाद पति के हाथों अपना निर्जला व्रत को तोड़ें और उन्हें भोजन कराकर स्वयं भी भोजन कर लें।
  • पूजन के पश्चात् अपने आस-पास महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देने के साथ ही इस महान पर्व की समाप्ति करें।

-नन्द लाल सिंह “शाश्वत”