माता लक्ष्मी की पूजा गणेश जी के साथ क्यों होती है? Lakshmi ki Puja Ganesh ji ke sath kyon hoti hai.

माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा नहीं होती बल्कि ज्यादातर माता लक्ष्मी की पूजा गणेश जी के साथ होती है, ऐसा क्यों किया जाता है, इस लेख में विस्तार से पढिए।

माता लक्ष्मी की पूजा गणेश जी के साथ क्यों होती है? Lakshmi ki Puja Ganesh ji ke sath kyon hoti hai.
Lakshmi Aur Ganesh Ki Puja Vidhi

माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा एक साथ क्यों की जाती है? (Lakshmi Aur Ganesh Ki Puja)

दीपावली पर लक्ष्मी और गणेश की पूजा- दीपावली माता लक्ष्मी की पूजा भगवान विष्णु के साथ न होकर गणेश जी के साथ क्यों की जाती है। इसे जानने के लिए इस लेख को पूरा पढें।

कारण- कहा जाता है जब किसी भी धन का सदुपयोग तभी होता है जब किसी धन का प्रयोग किसी बुद्धि के द्वारा किया जाता है। यदि धन का उपयोग बुद्धि और विवेक के साथ अर्थात ज्ञान के साथ नहीं किया जाता तो उस धन को डूबते देर नहीं लगती।

माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) को धन की देवी (Dhan ki Devi) माना गया है, वहीं पर गणेश जी (Ganesh ji) को बुद्धि और ज्ञान (Buddhi Aur Gyaan) का देवता माना गया है। दोनों लोगों की एक साथ पूजा करने का उद्देश्य यही है कि यदि धन का सदुपयोग बुद्धि के साथ किया जाता है तो निश्चय ही उस धन की बढोत्तरी होती है।

राजा और लकडहारे की कथा (Raja Aur Lakadhare ki Katha)- एक बार एक राजा अपने किसी राज कार्य से भ्रमण पर जा रहे थे तो रास्ते में जंगल से गुजरते समय एक लकडहारे को लकडी काटते हुए देखा। राजा को उसके मेहनत करने पर बहुत प्रसन्नता हुई। राजा ने सोचा कि इस मेहनती लकडहारे को यदि एक वन दे दें तो उस वन की यह रखवाली भी करेगा और साथ ही में अपनी कमाई भी करेगा। यह सोचकर राजा एक चंदन की लकडी वाला वन (Chandan ka Van) लकडहारे को दे दिया। लकडहारे चुकि बुद्धिहीन था, उसे ज्ञान नहीं था कि चंदन की लकडी कीमती होती है, उसकी नजर में सभी लकडी एक समान थी, इसलिए लकडहारे ने चंदन की लकडी को भी काट-काटकर जलाने के काम में लगाने लगा। राजा को जब लकडहारे की बुद्धिहीनता की जानकारी मिली तो राजा को बहुत अफसोस हुआ और उस राजा ने लकडहारे से वन को वापस ले लिया। तब तक उस लकडहारे ने वन का काफी हिस्सा खराब कर दिया था, और इस तरह अज्ञानता के कारण उसने वन को बर्बाद कर दिया।

इस कहानी से भी यही पता चलता है कि यदि धन का उपयोग किसी बुद्धिहीन व्यक्ति के द्वारा किया जाता है तो उस धन का दुरुपयोग हो जाता है।

इसीलिए धन की देवी माता लक्ष्मी और बुद्धि की देवी माता लक्ष्मी की पूजा एक साथ की जाती और इस बात की इससे प्रेरणा मिलती है कि धन का उपयोग बहुत ही बुद्धिमानी और सोच-समझर ही किया जाये। जब भी कोई बिजनेस करें तो बुद्धिमान व्यक्ति से विचार करके ही व्यवसाय करना चाहिए। अन्यथा उस व्यवसाय हमेशा हानि उठानी पड सकती है।

अब आप सबको समझ में आ गया होगा कि माता लक्ष्मी की पूजा गणेश जी के साथ क्यों की जाती है।