ब्रह्मचर्य का प्रभाव

एक ब्रह्मचार्य का हमारे शरीर, आत्मा और मन पर किस तरह से प्रभाव पडता है, ब्रह्मचारी व्यक्ति किस तरह से शक्तिशाली और निरोगी बन सकता है।

ब्रह्मचर्य का प्रभाव
Brahmacharya ka prabhava by anand kiran ji bhagwan

ब्रह्मचर्य का प्रभाव

(रज-वीर्य की रक्षा से लाभ का ज्ञान)

-Shri Vishwa Shanti Ashram

Tiwenipuram, Jhunsi, Prayagraj

 पुरुषों के वीर्य की रक्षा से और देवियों के रज-वीर्य के संचय से शरीर में बल,तेज,उत्साह और ओज की वृद्धि होती है, शीत-उष्ण, पीड़ा आदि सहन करने की शक्ति आती है, अधिक परिश्रम करने पर भी थकावट कम आती है, शरीर में फुरती एवं चेतनता रहती है, आलस्य तथा तन्द्रा कम आती है, बीमारियों के आक्रमण को रोकने की शक्ति आती है, मन प्रसन्न रहता है, कार्य करने की क्षमता प्रचुर मात्रा में रहती है, दूसरों के मन पर प्रभाव डालने की शक्ति आती है, इन्द्रियाँ सबल रहती हैं, शरीर के अंग-प्रत्यंग सुदृढ़ एवं सुडौल रहते हैं, आयु बढ़ती है, वृद्धावस्था जल्दी नहीं आती, शरीर स्वस्थ एवं हल्का रहता है, स्मरण शक्ति बढ़ती है, बुद्धि तीव्र होती है, मन बलवान होता है, कायरता नहीं आती, कर्तव्य-कर्म करने में अनुत्साह नहीं होता, बड़ी से बड़ी विपत्ति आने पर भी धैर्य नहीं छूटता, कठिनाइयों एवं विघ्न-बाधाओं का वीरतापूर्वक सामना करने की शक्ति आती है, अन्त:करण शुद्ध रहता है, आत्म-सम्मान का भाव बढ़ता है, दूसरों के प्रति सहिष्णुता तथा सहानुभूति बढ़ती है, दूसरों का कष्ट दूर करने तथा श्री सज्जनों की सेवा करने का भाव बढ़ता है, रज-वीर्य में अमोघता आती है, प्राणीमात्र में भगवत् भाव की जाग्रति होती है, नास्तिकता तथा निराशा के भाव कम होते हैं, असफलता में भी विषाद नहीं होता, सबके प्रति प्रेम एवं सद्भाव रहता है, श्री विश्वपिता आनन्दमय प्रभु के युवराज पद प्राप्त करने की योग्यता आती है। -ॐ आनन्दमय ॐ शान्तिमय।